गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जिसे विशेष रूप से गुरुओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है, और इसे बड़े धूमधाम और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेद व्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने चारों वेदों का संकलन किया और अठारह पुराणों की रचना की। भारतीय शास्त्रों में गुरु को ईश्वर से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। कहा जाता है:
“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।”
अर्थात, गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही महेश्वर हैं, और गुरु ही साक्षात परमब्रह्म हैं। ऐसे गुरु को प्रणाम है।
गुरु पूर्णिमा का इतिहास
गुरु पूर्णिमा का त्यौहार प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। यह पर्व महाभारत के रचयिता और हिंदू धर्म के महान संत महर्षि वेद व्यास की जन्मतिथि पर मनाया जाता है। इस दिन, शिष्य अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
गुरु का महत्व
भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि है। गुरु शिष्य को अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। कबीरदास ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहा है:
“गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपनो, गोविन्द दियो बताय।।”
अर्थात, अगर गुरु और गोविन्द (भगवान) दोनों एक साथ खड़े हों, तो पहले किसे प्रणाम करें? गुरु को प्रणाम करना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही गोविन्द तक पहुँचने का मार्ग दिखाया।
गुरु पूर्णिमा के उत्सव
गुरु पूर्णिमा के दिन, शिष्य अपने गुरु के चरणों में जाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन का प्रारंभ गुरु पूजन से होता है, जिसमें शिष्य अपने गुरु का पूजन कर आशीर्वाद लेते हैं। इसके अलावा, भजन-कीर्तन, प्रवचन और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भी होता है।
गुरु पूर्णिमा के अनमोल वचन
- “गुरु बिना ज्ञान नहीं, ज्ञान बिना मोक्ष नहीं।”
- “गुरु वही जो शिष्य को उसके वास्तविक स्वरूप का बोध कराए।”
- “गुरु ही वह दीपक है जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है।”
- “गुरु की कृपा से ही जीव आत्मज्ञान प्राप्त करता है।”
- “गुरु का स्थान माता-पिता से भी ऊँचा होता है।”
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर संदेश
गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरुओं को संदेश भेजकर उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। कुछ संदेश इस प्रकार हो सकते हैं:
- “गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं। गुरु के आशीर्वाद से आपके जीवन में ज्ञान का प्रकाश बना रहे।”
- “गुरु बिना ज्ञान नहीं, ज्ञान बिना मोक्ष नहीं। गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।”
- “गुरु का आशीर्वाद आपके जीवन को सफल बनाए। गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।”
निष्कर्ष
गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें हमारे गुरुओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि गुरु ही हमारे जीवन के मार्गदर्शक हैं, जो हमें सही दिशा में चलने के लिए प्रेरित करते हैं। इस गुरु पूर्णिमा, आइए हम सब अपने गुरुओं का सम्मान करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
अतिरिक्त संसाधन
अधिक जानकारी के लिए आप हिन्दुस्तान टाइम्स, दैनिक जागरण, और नवभारत टाइम्स पर जा सकते हैं।
गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाएं, अपने गुरु को सम्मानित करें, और ज्ञान की रोशनी फैलाएं।
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